दरभंगा। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच घर वापसी की राह देख रहे देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासियों को लाने की पहल शुरू हो चुकी है। आगामी पांच मई को केरल से यात्रियों को लेकर ट्रेन दरभंगा जंक्शन पहुंचेगी। उत्तर बिहार के यात्रियों से भरी ट्रेन के पहुंचने पर सभी लोगों को बस में बैठकर उनके गंतव्य तक भेजा जाएगा। लेकिन, इससे पूर्व जिला प्रशासन की ओर से उनकी सुरक्षा के मद्देनजर सभी यात्रियों को मधुबनी पेटिग्स से बनी मास्क पहनाकर विदा किया जाएगा। इसके दो फायदे है। एक तो मास्क पहनकर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर मिथिला की लोक कला के माध्यम से उनका स्वागत किया जाएगा। जिला प्रशासन की ओर से ऐसे करीब एक हजार मास्क तैयार कराए गए हैं। ये सभी मास्क सूती कपड़े के बने हुए हैं, जिन्हें आसानी से धोकर पुन: पहना भी जा सकता है। इसको बनाने में मानकों का पूरा ख्याल भी रखा गया है। पांच दिनों के अंदर मास्क को तैयार किया गया है। ये देखने में काफी आकर्षक लग रहे हैं। जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने बताया कि सूती कपड़ों पर बनाए गए मास्क से लोगों की सुरक्षा होगी। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने में यह कारगर है। बताया कि यूं तो बाजार में कई तरह के मास्क उपलब्ध हैं, लेकिन मिथिला की लोक कला मधुबनी पेटिग्स से सुसज्जित मास्क बाजार में नहीं मिलते। जब इस मास्क को पहली बार देखा तो लगा कि इस मास्क के दो फायदे हैं। जहां एक ओर कोरोना के बढ़ते संक्रमण से लोगों को निजात मिलेगी, वहीं दूसरी ओर इस कला से जुड़े कलाकारों को लॉकडाउन की अवधि में रोजगार भी मिलेगा। मास्क को बनाने वाली संस्था सताक्षी मिथिला पेटिग की प्रोपराइटर आशा झा ने बताया कि कोरोना के बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए उनकी इच्छा लोगों के बीच मिथिला पेटिग्स से बने मास्क को वितरित करने की थी। इस बीच जिलाधिकारी की ओर से एक हजार मास्क बनाने का प्रस्ताव आया, जिसे पांच दिनों में तैयार कर दिया गया है। इससे कलाकारों को भी रोजगार मिल गया। बता दें कि आगामी पांच मई को केरल से ट्रेन दोपहर के करीब दो बजे दरभंगा जंक्शन पहुंचेगी। इसी क्रम में 2 मई को जिला प्रशासन ने रेलवे के अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी।
