दरभंगा । दरभंगा संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव को लेकर एक दशक से चल रहे कब्जा को भाजपा बरकरार रखने के लिए पूरी शक्ति झोंक रखी है। वहीं अपनी परंपरागत सीट को पुन: पाले में करने के लिए राजद भी पीछे नहीं है। इस बार के चुनाव में सबसे बड़ी खासियत है कि भाजपा और राजद दोनों ने स्थानीय उम्मीदवारों पर दाव खेला है। भाजपा ने बिरौल अनुमंडल के पररी गांव निवासी पूर्व विधायक गोपालजी ठाकुर को मैदान में उतारा है, तो राजद अपने वर्तमान विधायक बेनीपुर अनुमंडल के रूपसपुर गांव निवासी अब्दुलबारी सिद्दिकी को चुनाव मैदान में उतारा है। इससे पहले लगातार 6 बार मौ. अली अशरफ फातमी जनता दल और राजद के प्रत्याशी होते थे। लगातार दो बार और उससे पहले एक बार फातमी चुनाव हार गये थे और कीर्ति आजाद भाजपा के सांसद हुए थे। यद्यपि कीर्ति को भी एक बार हार का सामना करना पड़ा था। यही कारण है कि भाजपा और राजद दोनों दल इस सीट को अपना परंपरागत सीट मानते हैं। परंतु इस बार की परिस्थिति अलग है। फातमी राजद छोड़ बसपा के प्रत्याशी के रूप में मधुबनी से चुनाव लड़ रहे हैं और बसपा का प्रत्याशी मैदान में है। राजनीतिक प्रेक्षक भी मानते हैं कि फातमी इफेक्ट असर डाल सकता है। वहीं कीर्ति आजाद भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम कर धनबाद चले गये। पर कीर्ति का असर यहां के चुनाव पर पड़ेगा या नहीं, उस पर प्रश्नचिन्ह है। दरभंगा में जहां राजग गठबंधन विकास व राष्ट्रीय सुरक्षा को मुद्दा बना रहा है, तो राजद की ओर से लालू को जेल और नरेन्द्र मोदी को एक समुदाय विरोधी करार देकर चुनाव को गरमा रहे हैं। जहां तक दरभंगा संसदीय क्षेत्र का सवाल है, तो इसके अंतर्गत दरभंगा, दरभंगा ग्रामीण, बहादुरपुर, बेनीपुर, अलीनगर और गौड़ाबौराम विधानसभा क्षेत्र आते हैं। दरभंगा से भाजपा के विधायक संजय सरावगी हैं, तो बेनीपुर से जदयू के विधायक सुनील चौधरी हैं। दरभंगा ग्रामीण से राजद के ललित यादव विधायक हैं, तो अलीनगर से राजद के अब्दुलबारी सिद्दिकी और गौड़ाबौराम विधानसभा क्षेत्र से जदयू के मदन सहनी विधायक हैं, बहादुरपुर से राजद के भोला यादव विधायक हैं, जिसको लेकर विधायकी में दोनों का बराबरी का हिस्सा है, लेकिन पेंच दरभंगा जिला में पड़ने वाले समस्तीपुर जिला के कुशेश्वरस्थान और हायाघाट, वहीं मधुबनी संसदीय क्षेत्र के दरभंगा जिला में पड़ने वाले केवटी और जाले विधानसभा क्षेत्र में हो रहे चुनाव का इफेक्ट भी दरभंगा के चुनाव पर पड़ता है। जैसा कि राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि किन्तु-परंतु के बीच राजनीतिक पे्रक्षक इस बात पर सहमत हैं कि दरभंगा में आमने-सामने की लड़ाई है। वैसे लड़ाई को त्रिकोणात्मक बनाने का प्रयास भी चल रहा है। परिणाम क्या होगा यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
~ अमरनाथ चौधरी ( यह लेखक के निजी विचार हैं। )
